-परमात्मा कभी इंसान रूपी जीव को जल्दी से अपना नहीं बनाते
जहानाबाद, फतेहपुर। जहानाबाद क्षेत्र में सोमवार को बंथरा गांव में चल रही सात द्विवसीय ज्ञान व भक्तमयी श्रीमद्भागवत पुराण कथा मे सच्चा बाबा आश्रम प्रयागराज से पधारे कथा व्यास पूज्य आचार्य राघव जी महाराज ने कहा कि भगवान का अवतार होता है अधर्म का नाश करने के लिए, जिससे भक्तों का कल्याण हो सके। सोमवार को श्रीमद्भागवत पुराण कथा में राघव जी महाराज ने भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं की कथाओं को आगे बढ़ाते हुए कृष्ण द्वारा गोपियों के संग रचाई गयी महा रासलीला का प्रसंग अपने मुखारविंद से भागवत कथा में श्रोताओं को श्रवण कराया गया। कथा के दौरान उन्होंने कहा कि वासुदेव नंदन भगवान कृष्ण ने गोपियों को प्रसन्न करने के लिए वृंदावन में महा रासलीला रचाई, भगवान कृष्ण ने लक्ष्मी स्वारुपा रुक्मिणी के साथ विवाह किया। कंस वध की कथा सुनाते हुए कहा कि राजा कंस के अत्याचार से दुखी प्रजा की रक्षा के लिए पृथ्वी पर भगवान कृष्ण के रुप में अवतरित हुए। धरती पर भगवान का जन्म अधर्म का नाश करने के लिए ही होता है जिससे अपने भक्तों का कल्याण हो सके। इस मौके पर मुख्य यजमान पुष्पा मिश्रा, लवकुश कुमार मिश्रा सहित कृष्ण कुमार मिश्रा, कैलाश दीक्षित, उमेश त्रिवेदी, राम किशोर दीक्षित, सतीश मिश्रा, कृष्णा राम शुक्ला, रामशरण पांडे, अखिलेश कुमार आदि सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे। जहानाबाद क्षेत्र में 16 नवंबर को बंथरा गांव में चल रही ज्ञान व भक्तमयी सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस सच्चा बाबा आश्रम प्रयागराज से पधारे कथा व्यास आचार्य राघव जी महाराज ने अपने मुखारविंद से कृष्ण की बाल लीलाओं का व्याख्यान करते हुए कहा कि परमात्मा कभी इंसान रूपी जीव को जल्दी से अपना नहीं बनाते, लेकिन कृपा वश अगर उसको स्वीकार कर लिया तो उससे अपना बंधन व संबंध कभी नहीं तोड़ते हैं। बंथरा गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत पुराण कथा में आचार्य राघव जी महाराज ने कहा कि भगवान हमेशा भक्ति के वश में होते हैं जैसे भगवान कृष्ण गोपियों के भक्ति वश मे होकर माखन चोरी की लीला की और गोपियों के घर जाकर प्रदान किया। कथा के दौरान महाराज ने श्रीमद् भागवत कथा श्रवण कर रहे श्रोताओं को व्याख्यान देते हुए कहा कि परमात्मा कभी जीव रूपी इंसान को जल्दी से अपना नहीं बनाते है, लेकिन कृपा वश उसे स्वीकार कर लिया तो अपने संबंध हुए बंधन को कभी नहीं तोड़ते हैं। कथा के दौरान उन्होंने पूतना वध, वृंदावन गमन लीला, चीर हरण लीला, उखल बंधन लीला, गोवर्धन लीलाओं को विस्तार से भगवत प्रेमियों को श्रवण कराया।















