चौडगरा,फतेहपुर। आंगनबाड़ी कार्यकत्री और सहायिकाओं को लेकर सरकार की उदासीनता एक बार फिर चर्चा में है। कार्यकत्री को जहाँ मात्र 7 से 8 हजार रुपये प्रति माह और सहायिकाओं को 3 से 4 हजार रुपये मानदेय दिया जाता है, वहीं इतने कम पैसों में परिवार का खर्च चलाना इनके लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है, विभागीय कार्यों का बोझ बढ़ने के बावजूद सम्मानजनक भुगतान न मिलने से आंगनबाड़ी कर्मियों में रोष है। टीकाकरण, सर्वे, जनगणना, पोषण कार्यक्रमों से लेकर विभिन्न योजनाओं की जिम्मेदारी निभाने वाली इन महिलाओं का कहना है कि फुल वेतन पाने वाले कई अधिकारी और कर्मचारी काम कराने के बजाय उन पर रोब जमाते रहते हैं। एक ओर जहाँ विधायक, सांसद, मंत्री और अधिकारियों के वेतन समय से बढ़ते रहते हैं, वहीं दूसरी ओर आंगनबाड़ी कर्मियों का मानदेय वर्षों से जस का तस है। सवाल उठ रहा है कि सरकार इनकी बेबसी पर कब ध्यान देगी? गर्मी, जाड़ा और बरसात में कड़ी मेहनत करने वाली इन कर्मियों पर नेताओं और अधिकारियों की नज़र कब पड़ेगी? यह एक बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के द्वारा सरकार से जल्द मानदेय वृद्धि, कार्यभार में कमी और सम्मानजनक कार्य के साथ बाज़ार की मंहगाई के अनुसार मानदेय/वेतन की अपेक्षा लम्बे समय से की जा रही है। उनका कहना है कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया, आगामी चुनाव में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है।















