फतेहपुर। ग्रामीण उत्तर प्रदेश में सतत आजीविका को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मेरा रेशम मेरा अभिमान के अंतर्गत गाँव बरुहा ब्लॉक असोथर में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि एरीकल्चर (एरी रेशम पालन) के इस प्रतिष्ठित अभियान के लिए पूरे उत्तर प्रदेश में एकमात्र चयनित जनपद है। जनपद भले ही उत्तर प्रदेश में एरी रेशम उत्पादन में रैंकिंग में शामिल नहीं है, लेकिन यहाँ इसकी खेती की अपार संभावनाएँ मौजूद हैं। इसी संभावना को ध्यान में रखते हुए, इस जिले को राष्ट्रीय 100-दिवसीय अभियान के अंतर्गत राज्य के प्रमुख फोकस जिलों में शामिल किया गया है। मेरा रेशम, मेरा अभिमान पहल का शुभारंभ केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह द्वारा किया गया। जिसका लक्ष्य पूरे भारत में 1,00,000 किसानों तक पहुँचना है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य किसानों को आहार पौधों की खेती के उन्नत तरीकों तथा एरी रेशम कीट पालन एवं प्रबंधन के बारे में जागरूक एवं सक्षम बनाना था। ब्लॉक के विभिन्न गाँवों से आए किसानों ने भाग लेते हुए ऐसे नवाचारपूर्ण तकनीकी ज्ञान और सर्वाेत्तम प्रथाएँ सीखी। जिनसे वे एरी रेशम उत्पादन द्वारा अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डी.के. जिज्ञासु ने की। इस अवसर पर डॉ राम सकल, सेवानिवृत्त प्रोफेसर, पंजाब विश्विद्यालय, एस.पी. निगम रेशम अधिकारी, राज्य रेशम विभाग, उमेश शुक्ला अध्यक्ष, एफपीओ, आत्म शक्ति प्रोड्यूसर कंपनी ने किसानों को संबोधित किया। इस जागरुकता कार्यक्रम में 75 किसानों ने भाग लिया। वक्ताओं ने एरी रेशम पालन के आर्थिक एवं पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डालते हुए इसे ग्रामीण समुदायों में सालभर रोजगार उपलब्ध कराने और पर्यावरण के अनुकूल रेशम उत्पादन को प्रोत्साहित करने का सशक्त साधन बताया। किसानों द्वारा उन्नत तकनीकों को अपनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम के बाद किसानों द्वारा लगाई गई अरंडी खेती का निरीक्षण कर वैज्ञानिक पद्धति के बारे में जानकारी दी गई।